बहुत से रिश्तों में खटास सिर्फ इसीलिए आ जाती है कि वे मिल-बैठ कर कुछ मिनट बतियाते नहीं। दोस्तों/रिश्तेदारों की बुराई हो या दफ्तर की समस्या हल्का-फुल्का बांटने से दिमाग का प्रेशर भी तो कम होता है
बेहतरीन पार्टनर बनने का यूं तो कोई सटीक नुस्खा अब तक ढ़ंढ़ा नहीं जा सका है पर रिश्तों में गर्माहट बनाए रखने और उनको नीरस होने से बचाने के कुछ मामूली से तरीके जरूर हैं, जिनको अपने जीवन में शामिल कर आप भी बन सकते हैं ‘नंबर वन’ जीवन साथी। प्रेमपूर्ण उत्साहजनक तरीके से जीवन भर किसी का साथ निभा पाना कोई हंसी-खेल नहीं है। दांपत्य को हमेशा उकताहट और नीरसता ही नहीं तबाह करती, बल्कि कई दफा रिश्तों में गर्माहट रखने में ही पिछड़ जाते हैं हम। बेहतरीन जीवनसाथी साबित होने के लिए कुछ नुस्खे अपनाए जा सकते हैं-
विश्वास करें
किसी भी रिश्ते को बेहतर तरह से निभाने का मूल मंत्र है, उस पर सौ फीसद विश्वास करना। किसी तरह का भय या शक दिल में जहां रखा आपने, समझिए प्रेम से दूर कर रहे हैं खुद को। विश्वास टूटने के भय से पहले ही उस पर शंकालू निगाह रखना, आपको कमजोर करता जाता है। प्रेम तो छूटता ही है, जो चीजें आपके पास होनी थीं, वे भी दूर होती जाती हैं।
स्वीकारें
जिसे आप प्यार करते हैं, उसे संपूर्णता के साथ स्वीकारें। उसकी अच्छाइयों को अपना लेना और कमियों का चुन-चुन कर सुबह-शाम गिनाते फिरना, आपके प्यार के लिए बिल्कुल अच्छा नहीं है। जो है, जैसा है, उसको भर दीजिए प्यार से। संपूर्णता में प्यार करें। कमियों को कमियों की तरह लेना ही छोड़ दें। क्योंकि कोई भी परफेक्ट नहीं हो सकता। कुछ कमियां तो आपमें भी होंगी।
उत्साहवर्धन करें
बात चाहे प्यार की हो या उसके काम की, जितना हो सके, उसका उत्साह बढ़ाइए। यह कभी नहीं मानकर बैठ जाइए कि प्रोत्साहन की उसे जरूरत नहीं, क्योंकि हर किसी को बूस्ट-अप करना नहीं आता। और कोई कितना भी कहे पर हर किसी को तारीफ भाती है। यह बहुत जरूरी है, तो बस शुरू हो जाइए।
सम्मान करें
याद रखिए सम्मान देने से ही मिलता है। आप अपने जीवन साथी का सम्मान करेंगे तभी दूसरे भी उसे सम्मानित नजरों से देखेंगे। यदि आपने ही उसके बारे में अनाप-शनाप बोलना शुरू कर दिया तो दूसरों को कैसे रोकेंगे। अपनी नाराजगी या नापसंद जरूर बताएं उसे। पर यह ख्याल रखें, कि उसका सम्मान किसी भी तरह दुखे नहीं।
सलाह लें
कितनी भी अपनी मर्जी चलाने की आदत हो आपकी, बिना रूके या सोचे हर छोटी-बड़ी बात पर उनकी भी सलाह लें। आपको यह पता भी हो कि अमुक मामले में उनका रिएक्शन क्या होगा तो भी आपकी यह जिम्मेदारी बनती है कि आप उनसे पूछे जरूर। फिर अपने तर्क देकर आप वही करें जो आपकी मर्जी है, पर थोपें नहीं कुछ।
समय दें
आप कुछ भी क्यों न करते हों, कुछ समय एक-दूसरे को जरूर दें। साथ में बैठ कर टीवी देख लेना, एक साथ डिनर करना या एक ही बिस्तर पर सो लेने से भावनात्मक नजदीकियां नहीं पनपती। कई रिश्तों में खटास सिर्फ इसीलिए आ जाती है कि वे मिल-बैठ कर कुछ मिनट बतियाते नहीं। दोस्तों/रिश्तेदारों की बुराई हो या दफ्तर की समस्या हल्का-फुल्का बांटने से दिमाग का प्रेशर भी तो कम होता है।
Warm Regards,
Sunny Chouhan
( 98281-30409
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