Friday, December 27, 2013

[Hindi Jokes] Mere andar Ka insan

 

उस मासूम की आँखों में भूख देखता हूँ,
और उसकी जुबान से निकला,
"बूटपालिश... वा..ला" जब कानो से
टकराता है,
मेरे अन्दर का इंसान थोडा सा और मर
जाता है.
अजीब कशमकश में, खुद को तब मैं पाता हूँ,
क्या बूट पालिश कराऊँ इस नन्हे बच्चे से??
ज़मीर इजाजत नहीं देता है,
पर उसकी भूख के आगे, छोटा मैं बन
जाता हूँ.
खुद्दार होगा, तभी भीख नहीं मांग रहा,
इसलिए मुफ्त के पैसे भी नहीं लेगा.
यही सोचके अपना एक जूता आगे बढ़ाता हूँ,
उन छोटे कोमल हाथों से, मेरे जूतों पर जब
brush वह फिराता है,
मेरे अन्दर का इन्सान.. थोडा सा और मर
जाता ह

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